होगा सारे कष्टों का निवारण, इस Hanumaanji Bajrang Baan Mantra के नित्य पाठ से, अभी डाउनलोड करें, पीडीएफ में!
Bajrang Baan Mantra ko aasani se karen Download PNG Image mein. कलियुग’ में “श्री हनुमान जी” की आराधना, “हिन्दू-धर्म” में सर्वोत्तम मानी गई है, हनुमान जी की पूजा और “बजरंग-बाण” मंत्र की जाप करने से बड़े से बड़े संकट, रोग और दोष टल जाते हैं!
मंगलवार और शनिवार को, बजरंगवली की पूजा विशेष रूप से की जाती है देशभर में, लेकिन इस मंत्र का नित्य जाप करने से आपके जीवन में “मंगल ही मंगल” और सुख शांति बनी रहेगी!
“जय वीर बजरंगवली की” आपकी कृपा सभी भक्तों पे बनी रहें!
आप इस आर्टिकल में, “BAJRANG-BAAN-MANTRA” टेक्स्ट ( TEXT ) में पढ़ सकते हैं ऑनलाइन, PDF में और IMAGE में डाउनलोड कर सकेंगे!
इस पाठ के लाभ:
रोग-दोष से मुक्ति, शत्रु पे विजय, कार्य में सफलता और सुख समृद्धि के लिए!
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BAJRANG BAAN KA PAATH
“दोहा”
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान!
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान!!
चौपाई
जय हनुमंत संत हितकार | सुन लीजै प्रभु अरज हमारी |
जनके काज विलम्ब न कीजै | आतुर दौड़ महा सुख दीजै |
जैसे कूदी सिन्धु महिपारा | सुरसा बदन पैठी विस्तारा |
आगे जाय लंकिनी रोका | मारेहु लात गई सुर लोका |
जाय विभीषण को सुख दीन्हा | सीता निरखि परमपद लीन्हा |
बाग़ उजारी सिंधु महँ बोरा | अति आतुर यमकातर तोरा |
अक्षयकुमार मारी संहारा | लूम लपेटी लंक को जारा |
लाह समान लंक जरि गई | जय जय धुनि सुरपुर नभ भई |
अब विलंब केही कारन स्वामी | कृपा करहूँ उर अन्तर्यामी |
जय जय लखन प्राण के दाता | आतुर होई दुःख करहु निपाता |
जय गिरिधर जय जय सुखसागर | सुर-समूह-समरथ, भट-नागर |
ॐ हनु हनु हनु हनुमत हठीले | बैरिहि मारू बज्र की किले |
गदा बज्र लै बैरिहि मारो | महारज प्रभु दास उबारो |
ओंकार हुंकार महाबीर धाबो | बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो |
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमत कपीसा | ॐ हूं हूं हूं हनु अरि उर शीशा |
सत्य होहु हरि शपथ पायके | राम दूत धरु मारू जायके |
जय जय जय हनुमंत अगाधा | दुःख पावत जन केही अपराधा |
पूजा जपतप नेम अचारा | नहीं जानत हौं दास तुम्हारा |
वन उपवन मग गिरीगृह माहीं | तुम्हरें बल हम डरपत नाहीं |
जनकसुता हरि दास कहावौ | ताकी सपथ विलंब न लाबो |
जै जै जै धुनि होत अकासा | सुमिरत होय दुसह दुःख नाशा |
चरण पकरि, कर जोरि मनावौं | यहि अवसर अब केही गोहरावौं |
जय अंजनि कुमार बलवंता | शंकर सुवन वीर हनुमंता |
बदन कराल काल कुल घालक | राम सहाय सदा प्रतिपालक |
भुत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर |
इन्हें मारू तोहिं सपथ राम की | राखु नाथ मरजाद नाम की |
जनक सुता हरिदास कहावो | ताकि सपथ विलंव न लावो |
जय जय जय धुनि होत अकाशा | सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा |
चरण-शरण कर जोरि मनावौं | यहि अवसर अब केहि गोहरावौं |
उठू-उठूचलु तोहिं राम दोहाई | पायं परौं कर जोरि मनाई |
ओम चं चं चं चं चपल चलंता | ओम हनु हनु हनु हनु हनुमंता |
ओम हं हं हांक देते कपि चंचल | ओम सं सं सहमि पराने खल दल |
अपने जन को तुरत उबारो | सुमिरत होत आनंद हमारो |
यहि बजरंग बाण जेहि मारे | ताहि कहो फिर कौन उबारे |
पाठ करै बजरंग बाण की | हनुमत रक्षा करैं प्राण की |
यह बजरंगबाण जो जापै | तेहि ते भूत प्रेत सब कापैं |
धुप देय अरु जपै हमेशा | ताकि तनु नहिं रहे कलेशा |
दोहा
प्रेम प्रतितिहीं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान |
तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान |
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