असली Bhoot ki Darawni Kahani Hindi Mein | लोभ और वैमनस्य का नतीजा क्या होता है जानें इस भूत की कहानी से! | भूत की डरावनी कहानी हिंदी में
Bhoot ki Darawni Kahani Hindi Mein | Darawni Kahaniya in Hindi Written | भूत ( Bhoot ) की डरावनी कहानी, “बच्चों को इस तरह की कहानी नहीं सुनाएँ”, “भूत” की कहानी, ये गांवों में पोपुलर विषय हुआ करता था, ये शहरों में नहीं, भूतजी गाँव और छोटे शहरों में ही पाए जाते थे, जो की आजकल लगता है विलुप्त हो गये हैं!
दोस्तों भूत सच में होती है की नहीं, की ये सिर्फ कहानीओं में ही होता है?
“भूत” जो एक खौफ पैदा कर दे, अगर समय रात का हो, सुनसान जगह हो, और वो भी अगर “जंगल” जैसा माहौल हो, हम कहीं अकेले जा रहे होते हैं, अचानक से अगर कोई हमें उस हालत में कोई छू दे, या कुछ अजीब सी आबाज सुनाई दे, तो समझो जान ही निकल जाती थी, आज से 15-20 बर्ष पहले,
क्योंकि उस जमाने में इतनी “बिजली” की सुविधा नहीं होती थी, रास्ते “अँधेरे” में डूबे रहते थे, कहीं दूर अगर किसी को कोई काम से भी अगर एक गाँव से दुसरे गाँव जाना पर जाये या अपने “आस-पास” ही कहीं जाना परे तो मानिये उस वक़्त बहुत “डर” सा लगता था!
आजकल ये BHOOT किस्से, कहानी के पात्र हैं जिसे हॉरर मूवी के रूप में एन्जॉय कर सकते हैं!
दो भाई और भूतों पे आधारित कहानी इस प्रकार है…
दो सगे भाई होते हैं जो साथ-साथ बड़े होते हैं और उनके पिताजी जो की अब वृद्ध हो चले थे, उन्होंने अपने बच्चों में कोई आगे चलके कोई मन-मुटाव न हो, उन्होंने अपनी वसीहत बना रखी थी, और साथ ही कुछ स्वर्ण मुद्रा भी उनके पास थे, जो की उन्होंने जीवन में अपने मेहनत से बनाये थे!
Bhoot ki Darawni Kahani Hindi Mein – पढने के लिए डरावनी कहानियां!
पिताजी जब बहुत बीमार हो गये जब उन्हें लगा की अब हम ज्यादा दिन तक जिबित नहीं रहेंगे तो, उन्होंने अपने दोनों बेटों से कहा, की तुम पुरे गाँव के लोगों को बुलाओ, मुझे उनके सामने में मुझे कुछ बताना है, उनके दोनों बेटों ने बहुत समझाया की पिताजी, आप वो बात मुझे बताइए जो आप गाँव बालों के सामने रखना चाहते हैं, पर उन्होंने एक ही बात कहि, की नहीं, हमे ये बात, “गाँव” के लोगों के सामने ही बतानी है, फिर “गाँव के लोगों” को बुलाई गई, सब लोग आये और बड़ी उत्सुकता थी सबके मन में, ऐसी क्या बात है, जो एक मरने के कगार पे खड़े व्यक्ति पुरे गाँव के सामने करना चाहता है!
भूत की कहानी हिन्दी में | Horror Stories in Hindi, अपने विचार आप कमेंट द्वारा भेज सकते हैं!
कहानी अभी बांकी है…
वृद्ध व्यक्ति ने गाँव के लोगों के सामने अपनी इक्छा प्रकट की और कहा, मैंने अपनी जमा पूजी और घर के कागजात, एक ताम्र के बर्तन में रखकर, निश्चित जगह का जिक्र करके कहा उस वृक्ष के निचे गार कर रख दी है, जिसे मेरे मरने के उपरांत खोल कर निकाला जाये और इक्छा अनुरूप गाँव बालों के सामने में, मेरा संपत्ति का बटबारा हों!
“सबसे डरावनी भूत की कहानी”, Bhoot ki Darawni Kahani Hindi Mein
दोस्तों उस जमाने में कोर्ट के पेपर पर बटबारा नहीं होती थी, लोग सादा पेपर पर सिग्नेचर करके काम चलाते थे!
फिर क्या कुछ दिन बाद, “BHOOT KI KAHANI HINDI ME” बुजुर्ग चल बसे…
उनके संस्कार प्रक्रिया पुरे होने के उपरांत गाँवबाले जमा हुए, और सबके उपस्थिति में खुदाई चालू हुई, बर्तन को खोला गया,
उसके अंदर एक पुर्जी पर लिखा हुआ था, मेरे मरने के बाद, मेरे इस धन पर, सिर्फ बड़े बेटे का अधिकार होगा…
इतना सुनते ही गाँव के लोग, उस वृद्ध के लिए अपशब्द कहने लगे, की ये कैसा अन्याय इन्होनें की है की सारा धन इन्होने बड़े पुत्र को देना जरुरी समझा, लेकिन कर भी क्या सकते थे, ये उस वृद्ध की अंतिम इक्छा थी, उसी के अनुरूप होना था!
अब लोगों के समझाने पर बड़े बेटे ने थोड़ा सा धन अपने भाई को दी और उसे अलग कर दिया, छोटा भाई अपने बीबी, बच्चों के साथ अलग होकर रहने लगा, “धन” तो होता ही है चंचल, कितना भी हो, कम ही होता है, वो सारे धन खत्म हो गया, अब ये और उनके परिबार सब भूखे एक-दो दिन निकाला, फिर पत्नी के कहने पर बड़े भाई के पास गये, और कुछ माँगा, तो बड़े भाई ने एक शर्त रखी, मैं तुम्हें 5 किलो अन्न दूंगा, बदले में तुम्हें अपना एक आँख देना होगा, बेचारा क्या करता उसे अपनी बच्चों की याद आई, जो की भूखे थे, उन्होंने हाँ कर दी!
05 किलो अन्न लेकर, वो अपने घर, एक आँख निकलबाकर पहुँचा …
तो, बीबी और बच्चे बड़े रोने लगे की, आपने ऐसा क्यूँ की…
फिर कुछ समय बाद अन्न समाप्त होने पर वही स्थिति हुई…
तो फिर उनके पास और कोई उपाय नहीं सूझने पर, वो बड़े भाई के पास गये “धन” माँगने के लिए!
इस बार बड़े भाई ने 05 किलो अन्न के बदले, दूसरा आँख भी माँग ली!
फिर से उनका भोजन कुछ समय बाद… और अन्न समाप्त हो गया!
अब, भीख माँगना ही एक उपाय बचा था,
उनकी पत्नी उन्हें गाँव के बाहर एक चौराहा पर सुबह छोड़ देती थी, साम को उसे ले आती थी, और जो भीख में मिलती उससे से गुजारा चल रहा था!
एक दिन ऐसा हुआ, साम हो गई, उनकी पत्नी उन्हें लेने नहीं आ सकी, वो बहुत बीमार पर गई थी, फिर ये बहुत देरतक इन्तजार के बाद उठके बिदा हो गये, “चलते-चलते” ये गलत राह पर चल दिए, जो की गाँव से दूर एक जंगल थी वहाँ ये पहुँच गये!
ये थककर एक जगह बैठ गये, दोस्तों उसी वृक्ष पे भूतों की मण्डली बैठा करते थे…
जब देर रात, सारे बहुत आ गये तो भूतों के सरदार ने पूछा बताओ, आज क्या नया हुआ है?
तो एक भूत ने कहा, पास के गाँव में, एक बड़े भाई ने, सम्पति के बटबारे का “परचा” बदल दिया जोकी उसके पिता लिखकर गये थे, हमारे मरने के बाद बराबर – बराबर सम्पति का बटबारा हो, की जगह इसके बड़े भाई ने गाँव बाले को, आने से पहले, पर्चे बदलकर लिख दी, धन सिर्फ बड़े बेटे को ही मिले!
दुसरे भूत ने कहा, पास के एक गाँव में भीषण सुखा परा है!
तीसरे भूत ने कहा, मैं बहुत सारा स्वर्ण, हीरे, जवाहरात लाया हूं तो मेन भूत बोला इस पेर के नजदीक में गार दो, और कहा ये सारी समस्या का समाधान इसी वृक्ष में है जिसपे हमलोग बैठें हैं तो उसने कहा जो जिसका आँख चला गया है वो इस वृक्ष के पत्ते को पीसकर आँख में डालेगा तो उसे सब दिखाई देने लगेगी!
इस वृक्ष की टहनी तालाब में गारने से तालाब में पानी भर जायेगा!
सुबह, सूर्योदय के साथ ही भूत विलय हो गये,
उस अन्धें ने, वृक्ष से हाथ बढ़ाकर पत्ते तोड़कर और पीसकर, आँख में डाला तो सब दिखाई जाने लगा!
एक डाल तोड़कर तालाब में डाल दी, तालाब पानी से भर गया, और वो वृक्ष के निचे से सभी हीरे, जवाहरात लेकर घर आ गया,
उसकी बीबी, बच्चों को ख़ुशी का ठिकाना न रहा!
गाँव में उसके मान-सम्मान, बड़े भाई से अब ज्यादा इनके होने लगे, क्यूंकि इन्हीं के कारण सुखा दूर हो पाया!
बड़े भाई को कुछ समझ ना आ रही थी की अँधा को आँख कैसे आई,
उसने अपने छोटे को प्यार से बुलाकर पूछा, तो छोटा सबकुछ “सच-सच” बता दी!
अगले दिन, बड़े भाई ने खुद उस वृक्ष के निचे रात को जाकर बैठकर इन्तजार करने लगा, की भूत आज जो खजाना लायेगा, वो सुनकर निकालकर ले जायेगा! “Bhoot Story in Hindi” पढ़ते जाएँ…
भूत आया और पूछा आजकी कहानी बताओ तो एक ने कहा, जिसको आँख नहीं थी उसे आँख आ गया, और दुसरे ने कहा जिस गाँव में सुखा था उस गाँव में पानी से तालाब भर गया, इतना सुनते ही मेन भूत बोला, जरूर कल रात कोई वृक्ष के निचे था जो हमारी बात सुन ली, निचे देखा तो, बड़े भाई दिखा सबने मिलकर, उनका राम नाम सत्य कर दी!
इसलिए लोभ से दूर रहने में ही भलाई है!
“समाप्त” Bhoot ki Darawni Kahani Hindi Mein
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